ऐसे होती है व्यक्ति की उन्नति

 व्यक्ति की उन्नति के लिए सबसे बड़ा बल है- आत्मबल, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता। आत्मबल की कमी रहने पर सुख, सम्पत्ति या प्रगति कुछ भी हो, उसे प्राप्त करना मुश्किल है। लेकिन आत्मबल से भरे हुए व्यक्ति दिशाएं और हवाएं बदलने में समर्थ होते हैं। उनके पास आशा और साहस होता है। लक्ष्य बड़ा होने पर मुश्किलें भी आती हैं। उसके लिए आत्मविश्वास की जरूरत होती है। अपनी शक्ति, योग्यता और कार्य पर पूरा विश्वास होना चाहिए कि हम इस कार्य को अवश्य कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद जी के शब्दों में आत्मविश्वास सरीखा दूसरा मित्र नहीं। 



इंग्लैंड का वेल्स ने अपनी हिम्मत से दाहिना हाथ और एक आंख चले जाने पर भी अपने सूझबूझ वाले दिमाग से लड़ाईयां जीती। कहते हैं कि कायर एक बार जीता है और बार बार मरता है लेकिन आत्मविश्वासी एक बार जन्म लेता है और एक बार ही मरता है। अगर आपको धन,बल, बुद्धि, विद्या,ऊंचा पद और प्रतिष्ठा आदि चाहिए तो आत्मनिर्भर बनें। जीवन में सफलता, संपन्नता और समृद्धि चाहिए तो आत्मबल, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता को बढ़ाना चाहिए। 


फिर समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी इनके आधार(base)हैं। क्योंकि बेवकूफी दुर्भाग्य का और समझदारी सौभाग्य का प्रवेश द्वार है और इन्द्रिय संयम,समय संयम और अर्थ संयम इसके सहयोगी हैं। ईमानदारी अनमोल है क्योंकि बेइमान व्यक्ति भी ईमानदार नौकर चाहता है। अपने शरीर,मन, बुद्धि और आत्मा को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी को सही तरीके से पूरा करना चाहिए और बहादुरी ऐसी हो कि लोग तुम्हारी लगन, मेहनत और बुद्धि कौशल को देखकर दांतों तले उंगली दबाएं। यही उन्नति और सफलता का मूल मंत्र है।

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