आत्मा अपनी शक्ति का एहसास समय-समय पर करवाकर वैज्ञानिकों को चुनौती देती रहती है। जैसे पायोनियर अन्तरिक्ष यान को अमेरिका ने बृहस्पति ग्रह की खोज के लिए छोड़ा।
उसके कई महीनों पहले दो अमरीकी व्यक्ति अपने सुक्ष्म शरीर से बृहस्पति ग्रह का चक्कर लगाने और वहां की जानकारियों को इकट्ठा करने की घटना को दर्ज़ करवा दिया।जब एक महीने बाद पायोनियर अन्तरिक्ष यान छोड़ा और वापिस आने पर जो जानकारियां दीं, दोनों एक समान थीं। फिर उन्हें चुनौती के रूप में बुध ग्रह की जानकारी लाने के लिए कहा।
उन्होंने बुध ग्रह की जानकारी दी कि वहां का वातावरण पतला है चुम्बकीय क्षेत्र भी है।बाद में मेरीनर अन्तरिक्ष यान ने भी यही जानकारियां दीं। लेकिन भटकती हुई आत्माएं बदला लेने की भावना रखती हैं।
भौतिक जगत में जो शक्तियां हैं वे भी अदृश्य ही हैं। जैसे विद्युत शक्ति, गुरुत्वाकर्षण शक्ति,गन्ध शक्ति, सौंदर्य आदि विज्ञान के किसी भी instrument से नापे,तौले नहीं जा सकते परन्तु इन्हें नकारा भी नहीं जा सकता है। सभी शक्तियों की उपस्थिति है।यह हम सभी महसूस करते हैं। तो फिर विज्ञान के अनुसार यदि ईश्वर नहीं है तो वह ग़लत होगा। कोई माने या ना माने ईश्वर अपना अस्तित्व हर पल हर क्षण हर कण में महसूस करवाता है।
क्या जीवन एक व्यापार है?
संसार में हर चीज का जोड़ा बना हुआ है जैसे राम लक्ष्मण, कृष्ण अर्जुन,नल नील, समर्थ रामदास शिवाजी, चाणक्य चंद्रगुप्त, अंधा पंगु, सर्दी गर्मी,रात दिन, आत्मा परमात्मा, चक्की के दो पाट,ताली दो हाथों से ही बजती है आदि। कहावत है कि एकला चलो ये! पर दूसरी ओर अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। अर्थात पुरुषार्थ अकेला काम करता है परन्तु बिना जोड़ के महान बनना मुश्किल है।
इसलिए जीवन एक व्यापार है। किसी भी तरह व्यापार करने पर उसे बढ़ाया जाता है। उसी प्रकार जो यह वैभवशाली जीवन मिला है,उसकी भी उन्नति करनी चाहिए। जब उन्नति करनी है तो उसमें साझेदारी भी सोच समझकर ही होनी चाहिए। समर्थ व्यक्ति से जुड़ने के लाभ आए दिन देखने को मिलते हैं। ऐसे में अगर इस जीवन को देने वाले से ही साझेदारी कर ली जाए तो फायदा ही फायदा है।
जैसे एक राजा अपना पूरा खजाना अपनी जनता के सामने खोलकर रख दिया और ऐलान कर दी जो व्यक्ति जिस चीज को छुएगा वह उसकी हो जाएगी। सभी व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के अनुसार चीजें उठाने लगे लेकिन एक छोटी सी बच्ची ने जाकर राजा को छुआ।
तब राजा ने कहा कि बेटा आपको जो कुछ चाहिए वहां से ले सकती हो। उस बच्ची ने कहा कि आपने ऐलान किया था कि जो व्यक्ति जिसे छुएगा वह उसकी हो जाएगी तो मैंने आपको छुआ।अब आप मेरे हो गए। अब जब आप मेरे हैं तो इस राजघराने की सभी वस्तुओं भी मेरी ही हैं। लेकिन लेना देना बना रहना चाहिए।लेना ही लेना लोभ मोह तृष्णा को बढ़ाता है। फिर यह ऐसे होगा कि व्यक्ति अपनी छाया को पकड़ने के लिए उसके पीछे पीछे भागता है परन्तु वह पकड़ में नहीं आती। देने का अर्थ है कि प्रकाश में चलना। जब प्रकाश है छाया खत्म हो जायेगी। ईश्वर प्रकाश है। जैसे सोना बेचने वाला ही अधिक सोना खरीदने में समर्थ होता है उसी तरह से ईश्वर के साथ चलने वाले में ही ईश्वर की शक्तियों अपने अनुकूल बनाने की क्षमता होगी।जो देता है वह बदले में कुछ ज्यादा ही पाता है। पेड़ अपने सूखे हुए पत्ते देते हैं बदले में नए पत्ते, फूल,फल पाते हैं। इसलिए ईश्वर ने यह जो जीवन दिया है उसे ईश्वर को ही समर्पित कर दें। यही ईश्वर के साथ सही साझेदारी होगी।
भूत किसे कहते हैं?
भूत कहने के लिए अनेकों प्रकार के शब्द, अलंकार और कहावतें हैं। जैसे भूत जैसे हो,भूत जैसे बने हुए हो,भूत सवार है, भूत बन गए हो, काम में भूत जैसे लग जाते हो या कुछ समझ में नहीं आता है तो कहा जाता है कि मन का भूत है।ऐसे कितने ही उदाहरण हैं जिन्हें हम भूत की श्रेणी में रखते हैं।
फिर भी कुछ categories तो अलग से भी हैं। जैसे काल्पनिक भूत, रोग का भूत,मरे हुए अतृप्त आत्माओं का भूत, इन्द्रिय भोगों में लिप्त आत्माएं, आसक्त आत्माएं, तन्त्र साधना से सिद्ध की गई आत्माएं, सत्कर्मों में सहायक आत्माएं आदि। इसलिए कभी-कभी चेतना जगत की अनसुलझी गुत्थियां भी इनके द्वारा सुलझाई जाती हैं। उस समय परोक्षरूप में इनके अस्तित्व को स्वीकार किया जाता है।
समय-समय पर जड वस्तुओं के भूत महसूस होते रहते हैं। कभी कभी जीवित व्यक्तियों पर भी नर पिशाच जैसा उन्माद छाया रहता है। कभी कभी मनोरोगों की जानकारी के आभाव में भी उन्हें भूत पिशाच मान लिया जाता है। भारतीय संस्कृति में नाकारात्मक तत्वों को रोकने के लिए घर के ऊपर या व्यावसायिक क्षेत्रों में एक भूतहा चेहरा लगाया जाता है। पश्चिमी सभ्यता में तो इसे उत्सव के रूप में Halloween के नाम से मनाया जाता है। इसलिए भूत एक भ्रम भी है तो एक वास्तविकता भी।
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य-AWGP- GURUDEV LITERATURE
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