संसार में कोई भी व्यक्ति या प्राणी ऐसा नहीं है, जिसे बुद्धिहीन कहा जा सके। अगर ऐसा होता तो उनका जीवन निर्वाह या वंशवृद्धि नहीं होती। ईश्वर ने सभी को बुद्धि दी है।हां एक प्राणी के लिए दूसरा बुद्धिहीन हो सकता है, जैसे अध्यापक के लिए वकील, वकील के लिए डाक्टर, डाक्टर के लिए बिजनेसमैन और उसके लिए तैराक। लेकिन ईश्वर ने सभी को बुद्धिमान बनाया है।
बुद्धि का विकास जन्म से लेकर मृत्यु तक कभी भी विकसित किया जा सकता है, क्योंकि ज्ञान के तन्तु मस्तिष्क में हमेशा रहते हैं, जरुरत है उन्हें विकसित करने की। जिस प्रकार सब मनुष्यों की आकृति अलग-अलग होती है,उसी प्रकार योग्यताएं भी अलग अलग होती हैं।
लेकिन जो सामाजिक नियमों का पालन करना जानता है, वह चतुर और बुद्धिमान कहा जाता है। बुद्धि कल्पना की उड़ान है। लेकिन जो व्यक्ति परिस्थिति के अनुसार कल्पना करता है और समयानुसार उसे कार्य रूप में बदलता है। वही व्यक्ति लाभ उठाता है और बुद्धिमान कहलाता है।
बुद्धि को बढ़ाया कैसे जा सकता है?
मन का स्वभाव है कि वह किसी बात पर अधिक समय तक नहीं टिकता है, इधर-उधर भागता है। परंतु चित्त की एकाग्रता का संबंध रुचि से है। इसलिए जो भी कार्य करें उसमें अपनी रुचि को बढ़ाएं। जैसे देशभक्त लोग फांसी के तख्ते को हंसते हुए चूमते हैं।
उन्हें थोड़ा सा भी दुख महसूस नहीं होता है। एकाग्रता एक कुशल सेनापति की तरह से काम करती है। इसलिए सब उन्नतियों का मूल मंत्र एकाग्रता ही है।जैसे कि ताश या शतरंज के खिलाड़ी करते हैं।
बुद्धि बढ़ाने के लिए- उस विषय में रुचि बढाना, जिज्ञासा- जानकारी प्राप्त करने की इच्छा हो, संगति- उसी प्रकार के लोगों व वातावरण में रहना, स्वार्थ चिंतन- उस विषय या काम में पूरी तरह से जुट जाना, स्वयं को प्रोत्साहन देना, सबसे अहम है क्रिया- उस पर काम करना, इसमें पूर्व ज्ञान भी सहायक होता है, गहरी दृष्टि- बारीकी से अध्ययन करना, जैसे महात्मा गौतम बुद्ध ने किया और जीवन बदल गया,सद्गुणी बनें, विद्यार्थी भाव हो,उत्तम स्वास्थ्य और उसके उच्च स्तर की कल्पना करनी चाहिए।
अहम् बात है- उत्साह, फुर्ती- चुस्त स्वभाव और समय की पाबंदी, स्मरण शक्ति- इसे बढ़ाने के अनेकों व सरल उपाय हैं, अभ्यास। एक विद्वान का कथन है, कि कोई भी व्यक्ति छलांग मारकर महापुरुष नहीं बन जाता, वह रात में भी उन्नति के लिए प्रयत्न करता है। मृत्यु शैया पर पड़े हुए रावण से जब लक्ष्मण जी शिक्षा लेने गये, तो उसने बताया कि- मनुष्य जीवन को असफल बनाने वाले ढुलमुल स्वभाव से बुरी बात और कोई नहीं है। मैं चाहता था- स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाना, समुद्र को मीठा करना, सोने की लंका को सुगंधित करना, मृत्यु को पूरी तरह वश में करना। परंतु कल पर टालता रहा और कल कभी नहीं आया।
मानसिक शक्तियों को बढ़ाने नियम क्या हैं?
वैज्ञानिकों की खोजबीन के अनुसार मस्तिष्क में किस कार्य को करने के लिए कौन-से सुक्ष्म तंतु काम करते हैं। उनकी जानकारी कुछ मात्रा में प्राप्त की जा सकी है।मानसिक शक्ति को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकें हैं। जिन्हें आजमाकर उन केन्द्रों को विकसित करके अपनी मानसिक शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।
इसमें आयुर्वेदिक उपचार के साथ साथ योग, प्राणायाम, ध्यान, मुद्रा आदि तकनीकें सहायक हैं।
लेकिन प्रकृति ने हर विषय वस्तु के नियम बनाए हैं। जिससे प्रकृति का विकास सुगम और सरल बन जाता है।इसी प्रकार मानसिक शक्तियों को बढ़ाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। जैसे-
प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठना, शुद्ध वायु में टहलना, भूख से कम खाना, चबा चबा कर खाना, सात्विक भोजन, sufficient पानी पीना। किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना। नित्य नियमपूर्वक योग व प्राणायाम करना। स्वच्छ वातावरण में रहना। अपने पर विश्वास रखना। प्रसन्न रहना। नित्य ईश्वर से प्रार्थना करना कि वह हमें सद्बुद्धि प्रदान करें।
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